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कालसर्प दोष निवारण के लिए श्रवण माह सबसे उत्तम

कुंडली में कालसर्प दोष सुनते ही हम डरने लगते हैं क्योंकि ये दोष वाकई में जीवन में हमारी सफलता के रास्ते में बहुत बढ़ाएं बना देता है. 

बहुत मेहनत करने के बाद भी फल नहीं मिलता और  रिश्ते भी ख़राब हो जाते हैं 

काल सर्प दोष को समझते हैं की है क्या ? 

कुंडली में 9 ग्रह और बारह घर होते हैं जहाँ ग्रह राशियों के साथ बैठे होते हैं और जीवन भर हमें उसके अनुसार फल देते हैं. 
जब सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति(गुरु), शुक्र और शनि ये सभी सातों ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते है और कुंडली में संतुलन बिगड़ जाता है तब काल सर्प दोष निर्मित होता है. 
राहु और केतु के अलग अलग घरों में अलग अलग प्रभाव के कारण कालसर्प दोष १२ प्रकार के होते हैं और हर दोष के निवारण के लिए अलग समाधान है. 

 सावन का माह भगवान शिव का बहुत ही प्रिय समय है इसलिए जीवन में कालसर्प दोष कितना भी खतरनाक हो स्वयं के महीने में शिव आराधना करने से जीवन में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है. जन्म कुंडली में राहु और केतु ग्रह एक-दूसरे के सामने स्थित होते हैं तब ये दोनों ग्रह किसी भी काम में रुकावट डालते है। ये ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं और उस भाव से संबंधित रुकावट डालते हैं। इसे कालसर्प योग भी कहा जाता है। 

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अनंत कालसर्प योग
कुंडली के पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु होता है। इन दोनों ग्रहों के बीच में बाकी ग्रहों के आ जाने से अनंत कालसर्प योग बनता है। प्रथम भाव स्वयं का व सप्तम भाव जीवनसाथी का होता है। जिसके कारण जीवनसाथी से मनमुटाव की स्थिति बनती है। वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देता है।
उपाय
अनंत कालसर्प होने पर मनसा देवी की उपासना करें और पूरे सावन माह में नम: शिवाय या महामृत्युञ्जय मन्त्र का जप करें, रुद्राभिषेक करें। 

 

कुलिक कालसर्प योग
कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु के बीच में सभी ग्रहों के आ जाने से कुलिक कालसर्प योग बनता है। यह पैतृक संपत्ति पाने में दिक्कत खड़ी करता है। ऐसी संपत्ति के पीछे कानूनी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।

उपाय
हाथी के पाँव की मिट्टी कुएं में डालें और बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। राहु मन्त्र का जप कराकर दुर्वा से पूर्णाहुति कराएं। सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

वासुकी कालसर्प योग
कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवें भाव में केतु के होने से छोटे भाई-बहन का सुख नसीब नहीं होता है। कई सारे काम बनते-बनते रह जाते हैं।

उपाय 

  • वासुकि कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए जातक को लगातार 11 दिनों तक महामृत्युंजय मंत्रों  का जाप करना चाहिए।  सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

  • वासुकि कालसर्प दोष के कष्ट को दूर करने के लिए जातक को राहु केतु की दशा-अंतर्दशा के समय हर शनिवार को श्री शनिदेव का तेलाभिषेक करना चाहिए और साथ में श्री हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चोला लगाना चाहिए।

  • जातक को हर बुधवार को काले वस्त्रों में उड़द या मूंग की एक मुट्ठी डालकर राहु के मंत्रों का जाप करने के बाद दान में या बहते हुए जल में बहा देनी चाहिए। यह जातक को लगातार 72 बुधवार करना चाहिए। 
     

    शंखपाल कालसर्प योग 

    जन्म कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु होने से कालसर्प योग बनता है। इस योग में घर से संबंधित कोई न कोई परेशानी झेलनी पड़ सकती है। जीवन में सुख बहुत मुश्किल से नसीब होता है।  ऐसे व्यक्ति को सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

उपाय

  • जातक को रोजाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

  • शंखपाल कालसर्प दोष से निवारण के लिए जातक 5 मंगलवार का उपवास रखें व 108 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें और श्री हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर डालकर चोला चढ़ायें और बूंदी के लड्डू का भोग लगायें। 

  • जातक को किसी भी शुभ मुहूर्त में अपने घर के मुख्य द्वार पर चांदी का बना हुआ स्वास्तिक एवं दोनों ओर धातु से निर्मित नाग व नागिन चिपकाने चाहिए।
     

    पद्म कालसर्प योग
    कुंडली के पंचम भाव में राहु एवं एकादश में केतु के मध्य में सारे ग्रह आ जाने के कारण कालसर्प योग बनता है। ये भाव संतान से संबंधित कष्ट दे सकता है। शिक्षा पूरी होने में समस्या खड़ी करता है।  सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ नमक चमक रुद्राभिषेक करवाना आवश्यक है. 

उपाय

  • श्रावण के महीने में प्रतिदिन स्नान उपरांत 11 माला जाप नीचे दिए गये मन्त्र की करनी चाहिए। हर सोमवार का उपवास रखें और शिवलिंग पर बेलपत्र व गाय का दूध और गंगाजल से अभिषेक करें, मंत्र: “नम: शिवाय” .  सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

    • पद्म कालसर्प दोष से निवारण पाने के लिए जातक को किसी भी शनिवार से 18 शनिवार लगातार उपवास रखने चाहिए और उपवास के समय काले वस्त्र धारण करें।

    • पद्म कालसर्प दोष के कष्ट को दूर करने के लिए जातक को हमेशा 3 माला जाप राहु के बीज मंत्रो की करनी चाहिए।

    • उसके बाद एक बर्तन में जल दुर्वा और कुशा लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाना चाहिए। भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, समयानुसार रेवड़ी तिल के बने मीठे पदार्थ सेवन करें और यही वस्तुएं दान भी करना चाहिए।

              रात में घी का दीपक पीपल पेड़ के नीचे जलायें और नाग पंचमी व शिवरात्रि का विशेष रूप से उपवास करना चाहिए। 

महापद्म कालसर्प योग
कुंडली के छठे घर में राहु और बारहवें घर में केतु के बीच में सारे ग्रह होने पर महापद्म कालसर्प योग बनता है। इस योग में जातक धन बचत नहीं कर पाता है। शत्रुओं से कष्ट पाता है।

उपाय

  • इस योग से पीड़ित व्यक्ति को श्रावण मास के पूरे महीने शिवजी के मंदिर में जाकर शिव भगवान का दूध और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. इस महीने में ही आप महापद्म कालसर्प दोष की शांति हेतु किसी विद्वान पंडित से हवन तथा पूजा करवा सकते हैं। क्योंकि सावन का महीना कालसर्प योग से मुक्ति के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता हैं।  सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

  • इस योग के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए पितरों के नाम से दान भी कर सकते हैं। पितरों के नाम से दान देना भी कालसर्प दोष के योग से मुक्ति के लिए बहुत ही लाभप्रद होता हैं।

यदि आप चाँदी की धातु से बनी नाग के आकार की अंगूठी धारण करते हैं या गोमेद रत्न को धारण करते हैं तो आप पर महापद्म दोष के बुरे प्रभावों का असर कम होगा तथा समय के साथ आपको पूर्ण रूप से इस योग के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल जायेगी।
तक्षक कालसर्प योग
कुंडली के सातवें घर में केतु और सप्तम भाव में राहु के बीच में सारे ग्रह स्थित होने पर कालसर्प योग बनता है। इस योग में जीवनसाथी से लंबे समय तक के लिए दूरी देने वाला होता है।

उपाय
इस दोष के दुष्प्रभावों को रोकने के उपाय को करने के लिए नागपंचमी के दिन नाग देव की अराधना करने के बाद धान का लावा चढ़ाएँ। इस उपाय के द्वारा शुभ फल की प्राप्ति के लिए नमक से बने हुए किसी भी पदार्थ को न खाएं। यह उपाय करने के पश्चात् आपको इस दोष से अवश्य मुक्ति मिल जायेगी।

यदि घर में नाग देवता की प्रतिमा या कोई तस्वीर स्थापित करके पूर्ण विधि–विधान से घी का दीपक जलाकर, पुष्प अर्पित कर, धूप या अगरबत्ती से उसकी पूजा रोजाना की जाए तथा इसके बाद शिवजी के महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाए तो भी इस दोष के अशांत प्रभाव से आपको मुक्ति मिल सकती हैं।

ककरोट कालसर्प दोष
जब राहु दूसरे भाव में हो, केतु अष्टम भाव में हो और सारे ग्रह इनके मध्य हो तो ककारोटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है।

उपाय 

  • नागपंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर या नाग-नागिन के मंदिर में चांदी, पंचधातु, तांबा या  अष्ट धातु का नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ा कर आएं।  सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

  • नागपंचमी के दिन ही शिव मंदिर में 1 माला शिव गायत्री मंत्र का जाप (यथाशक्ति) करें एवं नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं तो पूर्ण लाभ मिलेगा। शिव गायत्री मंत्र : - 'ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्।'

  • नागपंचमी के अलावा आम दिनों में भी कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय किए जा सकते हैं। विशेषकर सोमवार को शिव मंदिर में जो जातक चंदन की अगरबत्ती लगाकर एवं तेल या घी का दीपक लगाकर शिव गायत्री मंत्र का जाप करता है, तो उसे अवश्य ही श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है।

    शंखचूड़ कालसर्प योग
    नवें घर में राहु और तृतीय घर में केतु के बीच में सारे ग्रह होने से शंखचूड़ कालसर्प योग बनता है। भाग्य का अच्छा फल प्राप्त नहीं होता है। छोटे भाई से मनचाहा व्यवहार नहीं मिलता है। सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करें। 

    उपाय 

    • जातक को राहु के बीज मंत्रो की 3 माला कम से कम नही करनी चाहिए व जाप करने के बाद एक बर्तन में जल, दुर्वा और कुश लेकर पीपल की जड़ में चढ़ाये व भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, रेवड़ी, तिलकूट आदि मीठे पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।

    • भोजन करने से पहले इन्हीं वस्तुओं का दान भी करें तथा रात में घी का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाना चाहिए।

    • जातक को किसी शुभ मुहुर्त में अपने घर के मुख्य दरवाजे पर चांदी का स्वस्तिक एवं दोनों तरफ तांबे की धातु से निर्मित नाग व् नागिन चिपकानी चाहिए।

    • जातक को चांदी या अष्टधातु की नाग की बनावट में बनी अंगूठी हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करनी चाहिए।

    • जातक को महाशिवरात्रि के दिन रात को सोने से पहले अपने सिरहाने जौ रखकर सोये और अगले दिन उन्हें पक्षियों को खिला दें।

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