अंगारक योग (Angarak Yoga)
लाल किताब (laal kitaab) में अंगारक योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है।
जानिए क्या होगा अंगारक योग (Angarak Yoga) का जातक पर प्रभाव-
अंगारक योग (Angarak Yoga), जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह अग्नि का कारक है। कुंडली (kundali) में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं। अंगारक योग की पहचान जातक के व्यवहार से ही की जा सकती है। इसके प्रभाव में जातक अत्यधिक क्रोध करने लगता है।वह अपना कोई भी निर्णय लेने में असक्षम होते हैं लेकिन यह जातक न्यायप्रिय होते हैं। स्वभाव से यह जातक सहयोगी होते हैं। इस योग के प्रभाव में जातक सरकारी पद पर नियुक्त अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बनता है।
अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह का फल देने वाला होता है। कुंडली (kundali) में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम और पैसा कमाता है। इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
अंगारक योग (Angarak Yoga) के संभावित हानि
अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य संबंधियों से अनबन रहती है। अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है। इसके प्रभाव में जातक की दुर्घटना की संभावना होती है। वह रोगों से ग्रस्त रहता है एवं उसके शत्रु उन पर काले जादू का प्रयोग करते हैं। व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है।
कुंडली (kundali) के पहले घर में राहु - मंगल (rahu - mangal) अंगारक योग होने से पेट के रोग और शरीर पर चोट का निशान रहता है। मंगल अग्नि तत्व प्रधान होता है लेकिन वह अंगार नही होता। राहु वायु तत्व प्रधान होता। जब राहु व् मंगल की युति होती है तो वायु से अग्नि का मिलान होता है जिससे अग्नि तेज हो जाती है।
मंगल (अग्नि) + राहु ( कोयला व् वायु ) = कोयले का अग्नि से धधकना =कोयले का अंगारे में परिवर्तन यहाँ जातक में अग्नि तत्व की वृद्धि हो जाती है
"अति सर्वत्र वर्जते" इसलिए जातक में क्रोध की अभिमान की अधिकता हो जाती । विवेक की कमी हो जाती है। इसके कारण जातक दुसरो की भावनाओँ को समझ नही पाता है। रिश्ते बिगड़ लेता है। लेकिन भूमि अग्नि मशीनरी हार्डवेयर सम्बन्धी कार्यो से धन लाभ करता है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से मंगल पित्त कारक व् राहु वात कारक प्रभाव रखते है। अतः शरीर में पित्त व् वात की अधिकता हो जाती है। जिससे एसिडिटी , उच्च रक्तचाप आदि रोग परेशान करते है।
इन्हें ठंडी प्रकृति की चीजे सेवन करनी चाहिए। ठंडा दूध , पानी , चावल ( चंद्र की चीजे ) सेवन करनी चाहिए।
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