नटखट नंदलाल, गोपाल, कान्हा, कृष्णा, किशन-कन्हैया से लेकर रणभूमि में गीता का ज्ञान देने वाले योगेश्वर, सोलह कलाओं में निपूर्ण भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इस तिथि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं और जन्माष्टमी (janmashtami) का व्रत रखते हैं। वेदों और पुराणों में कृष्ण जन्माष्टमी (janmashtami 2021) व्रत की महिमा के बारे में बताते हुए लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है, वह तीन जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। वैसे तो गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार का व्रत नहीं करने की छूट होती है यदि कोई गर्भवती महिला अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वेच्छा से कृष्ण जन्माष्टमी (janmashtami) का व्रत करती हैं, उनका गर्भ ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय जन्म लेता है। शास्त्रों पुराणों में जन्माष्टमी (janmashtami) व्रत का महत्व बताते हुए लिखा गया है कि एक जन्माष्टमी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एक हजार एकादशी व्रत का फल मिलता है।
इसी के साथ एस्ट्रोभूमि प्लेटफॉर्म कृष्ण जन्माष्टमी व्रत से जुड़े कई लाभ और व्रत का महत्व आपके लिए लेकर आए हैं आईए जानते है व्रत का महत्व और लाभ
अकाल मृत्यु से रक्षा
जन्माष्टमी (janmashtami 2021) के व्रत की महिमा के बारे में पुराणों-वेदों और शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है। जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता और गर्भ में पल रहे शिशु को भगवान सुखी और स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देते हैं। जन्माष्टमी (janmashtami) का विधि विधान से व्रत करके अर्धरात्रि के बाद पूजापाठ के साथ भगवान का जन्म करवाना चाहिए। दूध-दही और पंचामृत से जन्मपश्चात अभिषेक करना चाहिए।
अनंत गुना फल देता है रात्रि में जाप
वैसे तो कृष्ण जन्म मध्य रात्रि में हुआ था, भक्त भी मध्य रात्रि में ही जन्मोत्सव मनाता है लेकिन शायद आप लोग नहीं जानते होंगे कि इस रात्रि में यदि विधि विधान से भगवान कृष्ण का जप किया जाए तो यह जप अनंत गुना फल देता है। उसमें भी जन्माष्टमी (janmashtami) की पूरी रात, जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्व है।
मिलता है अद्भूत ईश्वरीय वरदान
एकादशी व्रत को मोक्षदायनी व्रत के नाम से भी जाना जाता है लेकिन आप लोग यह जानकर हैरान होंगे कि एक जन्माष्टमी (janmashtami 2021) का व्रत हजार एकादशी व्रत रखने के पुण्य की बराबरी का है। अगर आप एकादशी के व्रत नहीं कर पाते हैं तो जन्माष्टमी का व्रत करके पुण्य कमा सकते हैं। इस व्रत से अद्भूत ईश्वरीय वरदान मिलता है।
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