भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। उनके जन्म के संयोग मात्र से बंदीगृह के सभी बंधन स्वत: ही खुल गए। सभी पहरेदार घोर निद्रा में सो गए और स्वयं मां यमुना बाल कृष्ण के चरण स्पर्श करने को आतुर हो उठीं। भगवान श्री कृष्ण को सम्पूर्ण सृष्टि को मोह लेने वाला अवतार माना गया है। इसी कारण जन्माष्टमी (Janmashtami) की रात्रि को मोह रात्रि भी कहते हैं। इस रात योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जागने से संसार की मोह माया से आसक्ति हटती है। यही कारण है कि जन्माष्टमी व्रत (Janmashtami Fast) को व्रतराज कहा जाता है। जिसके विधि पालन से प्राणी अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाले महान पुण्य प्राप्त कर सकता है। वेदों व शास्त्रों में चार रात्रि का विशेष महत्व है। इन चार रात्रियों में दीपावली को काल रात्रि, शिवरात्रि को महारात्रि, श्री कृष्णजन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) को मोह रात्रि और होली को अहो रात्रि कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण का पूरा चरित्र ही मोहित करने वाला है, उम्र के हर पड़ाव में और हर परिस्थिति में वे जहां भी गए उन्होंने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया, समाज में धर्म की स्थापना की, गोकुल की गलियों से लेकर कुरुक्षेत्र के रण तक उन्होंने समाज को अन्याय और धर्म का पाठ पढ़ाया। कुरुक्षेत्र में उन्होंने अर्जुन को गीता ज्ञान देकर आने वाले समाज को जीवन की नई दिशा प्रदान की।
एस्ट्रोभूमि प्लेटफॉर्म इस कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) पर अपने साथियों और हमसे जुड़े व्यक्तियों के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए मोहनी वशीकरण यंत्र को सिद्ध कर रहे हैं। इन यंत्रों विशेष पूजन विधि द्वारा इस मोह रात्रि के अतिविशेष समय में मंत्र और पूजन द्वारा सिद्ध किया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की रात्रि पर विशेष संयोगों में ही यह संभव है. इस यंत्र को अपने पास रखने और मंत्र का जाप करने से आपको जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। आइए जानते है क्या है मोहिनी वशीकरण यंत्र और इसके लाभ
मोहनी वशीकरण यंत्र (Mohini Vashikaran Yantra)
यदि जीवन में आप भी प्रेम-मान सम्मान, यश प्रसिद्धि पाना चाहते हैं और अपने व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ाना चाहते हैं तो कृष्ण जन्माष्टमी/मोह रात्रि के विशेष संयोग में मोहनी वशीकरण यंत्र को विधि-विधान से मंत्रों की शक्ति द्वारा अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए। यह यंत्र सिर्फ कृष्णजन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की रात्रि में कृष्ण जन्म के समय और विशेष नक्षत्रों के संयोग के समय ही निर्मित किया जाता है, यह संयोग वही होता है जिस समय द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
मोहिनी वशीकरण (Mohini Vashikaran) यंत्र के लाभ
सबसे पहले हमें अपने मन से वशीकरण को लेकर सदियों से चली आ रही सोच को बदलना होगा, वशीकरण का अर्थ यह नहीं होता कि आप किसी को अपने वश में करें। यह कोई जादू, टोना-टोटका नहीं है। मोहनी वशीकरण यंत्र का सबसे बड़ा उद्देश्य होता है अपने मन को वश में करना, हमारी खुद की संकल्प शक्ति को बढ़ाना। यदि आपकी स्वयं की संकल्प शक्ति मजबूत है तो आप किसी भी काम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हर परिस्थिति/परेशानी में खुद को मजबूत और साहसवान पाएंगे और उन विपत्तियों पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकते है। जैसा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अनेकों बार किया जन्म के समय से ही उन्होंने कई ऐसे काम किए जो चमत्कार से कम नहीं लगते लेकिन उनके पीछे सिर्फ और सिर्फ मजबूत इच्छाशक्ति ही है।
यदि आप किसी से प्रेम करते हैं लेकिन आपको रिश्ते में वह मान-सम्मान या अपनापन नहीं मिल पा रहा है तो मोहिनी वशीकरण (Mohini Vashikaran) यंत्र आपके लिए लाभदायक साबित होगा। यहां प्रेम का संबंध सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी से ही नहीं है। बल्कि जीवन के सभी रिश्तों से है, जहां आप अपने रिश्ते निभाने में पूरी ताकत लगा रहे है वहीं दूसरी ओर से वह प्रतिसाद नहीं मिल रहा है तो मोहिनी वशीकरण यंत्र (Mohini Vashikaran Yantra) से आपकी यह परेशानी निश्चित ही दूर होगी।
आपके जीवन में किसी व्यक्ति से आपका रिश्ता पहले काफी अच्छा था लेकिन किसी अन्य व्यक्ति या परिस्थितियों के कारण वह रिश्ता टूटने का कगार पर हैं या उसमें पहले जैसी आत्मीयता नहीं रही तो मोहिनी वशीकरण यंत्र आपके रिश्ते में पहले जैसी ताजगी और ऊर्जा लेकर आएगा। जीवन में अपने प्रियजनों और शुभचिंतकों के बीच भी रिश्तों में मजबूती प्रदान करता है मोहिनी वशीकरण यंत्र।
How can we use and get this yantra for improvement in life?