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शनि जयंती (shani jayanti) पर करें इन वस्तुओं का दान, इन भगवान की पूजा से मिलती है शनि कृपा



Shani jayanti special : शनिदेव (shani dev) की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय (remedy) करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है। शनि जयंती (shani jayanti) के दिन किया गया दान पुण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों को दूर करता है। जिन जातकों को साढ़े साती चल रही है, उन्हें शनि (shani) की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल , उड़द, काली मिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए। साथ ही शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उड़द, काले जूते, तिल, लोहा, तेल, आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं।


इन देवी-देवताओं का शनि देव (shani dev) करते हैं सम्मान

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जिस शनि के प्रकोप से दुनिया डरती है वह भी कुछ देवी-देवताओं से डरते हैं, इसलिए वे इनके भक्तों पर क्रोधित नहीं होते हैं, लेकिन किसी गलत कर्म को करने पर यानि दंड विधान के अंतर्गत आने पर इनके भक्तों को भी शनिदेव दंड देते हैं।


आइये जानते हैं कौन हैं ये देवी-देवता...


1) सूर्यदेव : शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य ने अपने ही पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद शनि ने तिल से अपने पिता सूर्य देव की पूजा की जिससे सूर्य प्रसन्न हो गए। इस घटना के बाद से तिल से शनि और सूर्य की पूजा की परंपरा शुरू हुई।


2) हनुमान जी : शनि महाराज को जिनसे डर लगता है उनमें सबसे मुख्य हैं हनुमान जी। हनुमान जी ने शनिदेव का घमंड तोडा था, तब से शनिदेव से पहले हनुमान जी की पूजा का भी विधान बन गया। कहते हैं हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव परेशान नहीं करते हैं।


3) श्रीकृष्ण : श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट देव माने जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब कृष्ण जन्म हुआ तो शनिदेव को उनकी वक्रदृष्टि के दोष के कारण अन्य देवताओं ने कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। जिससे शनिदेव (shani dev) दुखी हो गए और उन्होंने कोकिलावन में कड़ा तप किया। जिससे कृष्ण द्रवित हो गए और उन्होंने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए। शनि महाराज ने कान्हा को वचन दिया था कि वह कृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।


4) पीपल का वृक्ष : कहते हैं कि पीपल के वृक्ष पर शनिदेव का वास रहता है। कहा जाता है की एक असुर कैटभ ने एक ऋषि आश्रम में पीपल का रूप धारण कर रखा था। जब भी कोई ऋषि उस पेड़ के नीचे आता तो वो असुर उसे निगल जाता। सभी ऋषि मुनि शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता मांगी, और शनिदेव ने उस राक्षस का संहार कर दिया। शनिदेव ने ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए उन्हें वचन दिया था कि पीपल की पूजा करने वालों की वह स्वयं रक्षा करेंगे।


5) भगवान शिव : भगवान शिव शनि महाराज के आराध्य हैं। भगवान शिव ने शनि महाराज से कहा कि मेरे भक्तों पर तुम अपनी वक्र दृष्टि नहीं डालोगे। इसलिए शिव भक्त शनि के कोप से मुक्त रहते हैं।


6) शनिदेव की धर्मपत्नी : शनि महाराज अपनी पत्नी से भी भयभीत रहते हैं। इसलिए ज्योतिषशास्त्र (astrology) में शनि की दशा में शनि पत्नी के नाम का मंत्र जपना भी एक उपाय (remedy) माना गया है। इसकी कथा यह है कि एक समय शनि पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आई, लेकिन अपने ईष्ट देव शिव के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा। क्रोधित होकर पत्नी ने शाप दे दिया कि अब से आप जिसे देखेंगे उसके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।



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