उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) महत्व
मार्गशीर्ष माह या अगहन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन देवी एकादशी प्रकट हुई थीं. किसी व्यक्ति को यदि एकादशी व्रत शुरू करना है तो इसी व्रत से कर सकते हैं.
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का मुहूर्त
सुबह पूजा मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक (11 दिसंबर 2020)
संध्या पूजा मुहूर्त - शाम 5 बजकर 43 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक (11 दिसंबर 2020)
पारण - सुबह 6 बजकर 58 मिनट से सुबह 7 बजकर 2 मिनट तक (12 दिसंबर 2020)
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
Astrology के अनुसार एकादशी (ekadashi) के दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत कथा सुनें. एकादशी के दिन किसी व्यक्ति को बुरे वचन ना बोलें. शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और अपनी गलतियों की माफी मांगे. दीप दान दें. द्वादशी के दिन गरीब या ब्राह्मण को दान दें और शुभ मुहूर्त में पारण करें..
उत्पन्ना एकादशी के व्रत और पूजन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, तभी व्रत के संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है.
1. उत्पन्ना एकादशी से एक दिन पहले यानी दशमी को सात्विक भोजन करना चाहिए और सिर्फ एक समय का ही भोजन करना चाहिए.
2. दशमी के दिन शाम को दातून कर अपना मुंह साफ कर लें, ताकि उसमें जूठन ना रहे.
3. रात का भोजन ना करें.
4. दशमी के दिन भगवान श्री हरि का स्मरण करते हुए सोएं.
5. एकादशी के दिन खुद शुद्ध होने के साथ ही घर को भी स्वच्छ रखें.
6. भगवान विष्णु के नाम का जाप करें.
7. एकादशी के दिन ज्यादा बातचीत ना करें. खासतौर से क्रोधित ना हों.
8. मन में बुरे विचार ना आने दें.
9. रात को दीप दान दें.
10. द्वादशी के दिन गरीबों को दान जरूर करें.
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