7 सितंबर (मंगलवार) : भाद्रपद कृष्ण अमावस्या (Bhadrapada Krishna Amavasya)
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठौरी अमावस्या या कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन विवाहिता महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। अमावस्या तिथि 6.22 बजे तक रहेगी, उपरांत प्रतिपदा रात्रि 4.28 बजे तक, पश्चात द्वितीया। आज सेही भौमवती अमावस्या मौन व्रत आरम्भ (जैन)। प्रतिपदा तिथि का क्षय श्री गुरुग्रंथ साहब प्रथम प्रकाश दिवस ।
8 सितंबर (बुधवार) : भाद्रपद शुक्ल द्वितीया रात्रि 2.34 बजे तक पश्चात तृतीया श्री गुरु अर्जुन देव गुरुवाणी । भाद्रपद शुक्ल पक्षारम्भ
09 सितंबर, गुरुवार : हरतालिका तीज (Hartalika Teej)
इस बार गुरुवार,9 सितंबर 2021 को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। हर साल भाद्रप्रद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
भाद्रप्रद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 09 सितंबर को सुबह 02:33 से शुरू होकर 10 सितंबर को दोपहर 12.18 बजे तक रहेगी। सुबह के समय शुभ मुहूर्त सुबह 06.03 बजे से 08.33 बजे तक का है। जबकि, प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.33 बजे से 8.51 बजे तक है।
10 सितंबर, शुक्रवार : गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)
गणेश चतुर्थी शुक्रवार, 10 सितंबर 2021 को मनाई जाएगी। 10 दिन चलने वाले इस पर्व को देशभर में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और फिर अन्नत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी का मुहूर्त 12:17 बजे प्रारंभ होने के पश्चात रात 10 बजे तक रहेगा।
11 सितंबर, शनिवार : ऋषि पंचमी (Rishi Panchami)
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत हर किसी के लिए फलदायक होता है। इस दिन ऋषियों का पूरे विधि-विधान से पूजन करने के बाद उनकी कथा सुनने का बहुत खास महत्व माना गया है। भाद्रपद शुक्ल पंचमी सायं 7.38 बजे तक उपरांत षष्ठी। ऋषि पंचमी संवत्सरी महापर्व (जैन)। ललिता षष्ठी।
12 सितंबर (रविवार) : भाद्रपद शुक्ल षष्ठी सायं 5.21 बजे तक पश्चात सप्तमी। सूर्य षष्ठी व्रत। लोलार्क षष्ठी।
13 सितंबर (सोमवार) : भाद्रपद शुक्ल सप्तमी सायं 3.11 बजे तक, तदनंतर अष्टमी अपराजिता सप्तमी । संतान सप्तमी उमा महेश्वर पूजन।
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